Tuesday, May 11, 2010

पहली झलक जो याद है ....


 घर में खाना नही बना था ,पापा की दादी गुजर गयी थी उस दिन और मुझे भूख लगी थी .मेरी दीदी ने किसी  से खाना मांग कर खिलाया था .जब पापा की दादी का अंतिम संस्कार होने जा रहा था तो मेरे चाचा ने मुझे भी साथ ले लिया था .मुझे अछि तरह याद है जब चाचा तालाब में नहा रहे थे तो मेरा भी मन कर रहा था पानी में खेलने का लेकिन मै किनारे पे ही खड़ा रहा .....
जब चाचा नहा के तालाब से बाहर आये तो मुझे गोद में उठा कर तालाब में ले गए और मुझे भी नहलाया . फिर हम घर आ गए ..........

1 comment:

  1. सर्वेश जी ये आपका अच्छा प्रयाश है |
    जैसा की आपने लिखा है किया लिखना मेरा पेशा नहीं है समाज की बुराइयों को समाज के सामने लाने का माध्यम है |
    पर मेरा मानना है की समाज स्वयं बुरा नहीं होता या यूँ कहे की कुछ भी बुरा नहीं होता | बुरे होते है हम हमारा उन्हें देखने का तरीका | बस इतना ही आगे कुछ और समझ में आएगा तो ज़रूर लिखूंगा ...
    धन्यवाद्
    आनन्द

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